पाठ-01 मानव भूगोल : प्रकृति एवं विषय क्षेत्र। Class 12th Geography Chapter 1 Notes Pdf

Geography Class 12th Chapter 1 Notes in Hindi

कक्षा 12 वीं मानव भूगोल के मूल सिद्धांत 
पाठ -01मानव भूगोल : प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय – क्षेत्र
(Human Geography : Nature and Scope)

भूगोल की दो शाखा :-
(i) भौतिक भूगोल
(ii) मानव भूगोल

(i) भौतिक भूगोल – भौतिक पर्यावरण का अध्ययन ।
(ii) मानव भूगोल – भौतिक पर्यावरण के साथ मानवीय गतिविधियों का क्षेत्रीय अध्ययन ।

मानव भूगोल की परिभाषाएँ :-
रैटजेल के अनुसार – मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच संबंधों का संश्लेषित अध्ययन है ।
एलेन सी० सेंपल के अनुसार  – मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन है ।
पॉल विडाल डी ला ब्लाश के अनुसार  – हमारी पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवो के मध्य संबंधों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना ही मानव भूगोल है ।

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मानव का प्राकृतिकरण और प्रकृति का मानवीकरण
मानव का प्राकृतिकरण – मानव का प्रकृति के अनुसार अपने आप को ढाल लेना ।
प्रकृति का मानवीकरण – मानव का तकनीकी अपना कर प्रकृति को अपने अनुसार ढाल लेना।

मानव के प्राकृतीकरण (Naturalisation of Human)
(i) मानव का प्रकृति के अनुसार अपने आप को ढाल लेना।
(ii) उदाहरण – प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है। मानव प्रकृति के नियमों को अच्छे ढंग से समझने के बाद ही प्रौद्योगिकी का विकास कर पाया।
(iii) जब प्रौद्योगिकी का स्तर निम्न था तब मानव प्रकृति के आदेशों के अनुसार अपने आप को ढालने के लिए बाध्य था। इस प्रकार की अन्योन्यक्रिया को पर्यावरणीय निश्चयवाद कहा गया है।
(iv) इस अवस्था में मानव प्रकृति की सुनता था, उसकी प्रचंडता से भयभीत होता था। और उसकी पूजा करता था।
(v) यह पर्यावरण को नुकसान किये बगैर समस्याओं को सुलझाने पर बल देती थी। मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर रहते थे।
(vi) इस तरह से मानव के प्राकृतीकरण हुआ।

निश्चयवाद विचारधारा :-
उत्तर – यह पुरानी विचारधारा है इसके अनुसार –
(i) भौगोलिक संरचना, जलवायु, वनस्पति और जीव-जंतु पर्यावरण का निर्माण करते हैं और यही पर्यावरण समाज, राष्ट्र, संस्कृति, जीवनशैली, विकास इत्यादि को नियंत्रित करता है।
(ii) इस अवस्था में मानव प्रकृति की  सुनता था, उसकी प्रचंडता से भयभीत होता था तथा प्रकृति की पूजा करता था।
(iii) इस अवस्था में प्रकृति के समक्ष मानव निष्क्रिय था प्रकृति के अनुसार ही मानव ही मानव स्वयं को ढालता था।
(iv) इस अवस्था में मानव ने अपने आप को प्रकृति के द्वारा दी गई सुविधाओं के अनुसार ढाल लिया था इस सामंजस्य को पर्यावरण निश्चयवाद कहा गया है।
प्रकृति का मानवीकरण (Humanisation of Nature)
(i) मानव का तकनीकी को अपनाकर प्रकृति को अपने अनुसार ढाल लेना।
(ii) उदाहरण – कृषि, नगर, पुलों का निर्माण। महासागरों का समुद्री मार्ग के रूप में उपयोग। अंतरिक्ष में उपग्रह का प्रक्षेपण आदि।
(iii) समय के साथ मानव बेहतर तकनीक विकसित कर लेता है और पर्यावरण से प्राप्त संसाधनों के द्वारा संभावनाओं को जन्म देता है।
(iv) प्रकृति अवसर प्रदान करती है और मानव उनका उपयोग करता है तथा धीरे-धीरे प्रकृति का मानवीकरण हो जाता है।
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संभावनावाद विचारधारा :-
(i) इस विचारधारा के अंतर्गत ‘मनुष्य प्रकृति का दास है’ पूरी तरह स्वीकृत कर दी जाती है।
(ii) इसके अनुसार प्रकृति के तत्वों को चुनने के लिए मानव स्वतंत्र है।
(iii) समय के साथ मानव बेहतर तकनीक विकसित कर लेता है और पर्यावरण से प्राप्त संसाधनों के द्वारा संभावनाओं को जन्म देता है।
(iv) उदाहरण – कृषि, नगर, पुलों का निर्माण। महासागरों का समुद्री मार्ग के रूप में उपयोग। अंतरिक्ष में उपग्रह का प्रक्षेपण आदि।
(v) प्रकृति अवसर प्रदान करती है और मानव उनका उपयोग करता है। और मानवीय क्रियाओं की छाप चारों ओर नजर आती है।
नव निश्चयवाद संकल्पना की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – इस विचारधारा के जनक ग्रिफिथ टेलर महोदय है ।
(i) यह विचारधारा पर्यावरणीय निश्चयवाद और सम्भावनावाद के बीच के मार्ग को प्रस्तुत करती है।
(ii) यह पर्यावरण को नुकसान किये बगैर समस्याओं को सुलझाने पर बल देती है।
(iii) पर्यावरणीय निश्चयवाद के अनुसार मनुष्य न तो प्रकृति पर पूरी तरह निर्भर हो कर रह सकता और न ही प्रकृति से स्वतन्त्र रह कर जी सकता है।
(iv) प्रकृति पर विजय पाने के लिये प्रकृति के ही नियमों का पालन करना एंव उसे विनाश से बचाना होगा।
(v) प्राकृतिक देनों का प्रयोग करते हुये प्रकृति की सीमाओं का ख्याल रखना चाहिये । उदाहरणार्थ औद्योगीकरण करते हुये जंगलों को नष्ट होने से बचाना।
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